भारतीय पत्रकारिता का विकास

भारतीय पत्रकारिता का विकास तथा राष्ट्रवाद के विकास में समाचार पत्रों की भूमिका:

  • प्रेस को लोकतांत्रिक राज्य का चौथा स्तंभ माना जाता है जबकि साम्राज्यवादी शासन में यही प्रेस राष्ट्रीय मुक्ति का एक सशक्त माध्यम भी बन सकता है, जैसा कि भारत सहित दुनिया के कई देशों में राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान देखा गया।
  • भारत में पहला प्रिंटिंग प्रेस (छापा खाना) पुर्तगाियों ने लगाया। 1557 में जेसुईट ईसाई मिशनरियों ने धार्मिक साहित्य छापने के लिए इसका उपयोग किया।
  • लेकिन जनता के जीवन को प्रभावित करने वाली एक सामाजिक शक्ति के रूप में इसका इस्तेमाल उन्नीसवीं सदी के पहले चतुर्थांश में हुआ अर्थात् 1800 ई० के बाद।

  • इससे पहले मुगल काल में बादशाह, राजे-महराजे तथा व्यापारी और धनाढ्य वर्ग निजी खबरनवीस रखते थे। ये खबरनवीस अपने नियोक्ता की रुचि के अनुसार हस्तलिखित चिट्ठियों के रूप में खबरें भेजते थे।
  • भारत का पहला समाचार  पत्र बंगाल गजट (कलकत्ता जनरल एडवरटाइजर) था।  यह 1780 से जेम्स अगस्टस हिक्की द्वारा प्रकाशित किया गया।
  • किसी भी भारतीय भाषा में सबसे पुराना समाचार पत्र समाचार दर्शन था जो 1818 में कैरे, तथा मार्शमैन द्वारा प्रकाशित किया जाता था।
  • भारत में राष्ट्रीय प्रेस के संस्थापक राजा राम मोहन राय थे।
  • किसी भारतीय द्वारा प्रकाशित पहला समाचार पत्र राजा राम मोहन राय द्वारा निकाला गया संवाद कौमुदी (1821) था। उन्होंने 1822 में फारसी में मिरात् उल अखबार निकाला। ये दोनों अखबार भारत में स्पष्ट, प्रगतिशील, राष्ट्रीय और जनतांत्रिक प्रवृत्ति के सबसे पहले प्रकाशन थे।
  • बांबे समाचार (गुजराती) सबसे पुराना समाचार पत्र है जो दैनिक अखबार के रूप में अब भी निकलता है। इसे 1822 में फरदून जी मर्जबान ने शुरू किया।
  • जाम ए जमशेद (गुजराती, 1831) पी एम मोतीवाला द्वारा बंबई से निकाला गया। यह भी दैनिक अखबार के रूप में अभी तक छप रहा है।
  • बंगदूत (1830)- राम मोहन राय, द्वारका नाथ टैगोर, प्रसन्न कुमार टैगोर।
  • रस्त गोफ्तार (1851, गुजराती) का संपादन दादा भाई नौरोजी ने बंबई से किया।
  • बाम्बे टाइम्स (अंग्रेजी, 1831) बेनेट कोलमैन और कंपनी ने निकाला। सन् 1861 से इस दैनिक अखबार का नाम टाइम्स आफ इंडिया हो गया जो अब तक दिल्ली से प्रकाशित हो रहा है।

 

  • टाइम्स आफ इंडिया ने प्रायः ब्रिटिश सरकार की नीतियों का समर्थन किया।
  • हिन्दू पैट्रियाट (1853)- हरिश्चंद्र मुखर्जी।
  • सोम प्रकाश (1858) – ईश्वर चंद्र विद्यासागर।
  • 1865 में इलाहाबाद से (अब लखनऊ से) प्रकाशित अंग्रेजी दैनिक पायनियर ने जमींदारों और महाजनों का पक्ष लिया।
  • मद्रास मेल (1868) भारत का प्रथम सांध्यकालीन दैनिक था। यह यूरोपीय वाणिज्य समुदाय का पक्षधर था।
  • 1875 में कलकत्ता से राबर्ट नाईट तथा सुनंदा दत्ता रे ने स्टेट्समैन अंग्रेजी दैनिक प्रकाशित किया। इसने सरकार तथा राष्ट्रवादियों दोनों की आलोचना की।
  • सिविल ऐंड मिलिट्री गजट (1876, लाहौर) दकियानूसी ब्रिटिश विचारों का पत्र था।
  • 1868 में घोष बंधुओं हेमेंद्र कुमार, शिशिर कुमार और मोतीलाल घोष के संयुक्त प्रयासों के फलस्वरूप कलकत्ता में अंग्रेजी/बंगाली साप्ताहिक अमृत बाजार पत्रिका की स्थापना हुई। 1878 (लार्ड लिटन) के वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट के प्रकोप से बचने के लिए इसे रातों-रात पूर्णतः अंग्रेजी साप्ताहिक बना दिया गया।  1891 से इसका अंग्रेजी दैनिक के रूप में प्रकाशन होने लगा। अमृत बाजार पत्रिका मजबूत राष्ट्रवादी विचारों वाला अत्यधिक लोकप्रिय समाचार पत्र रहा। सरकारी नीतियों की कटु आलोचना के कारण इसके कई संपादकों को जेल की सजा भी भुगतनी पड़ी।
  • सुरेंद्र नाथ बनर्जी ने 1879 में अंग्रेजी समाचार पत्र बंगाली का संपादन किया। इसने उदारवादी दल के विचारों का प्रचार किया।
  • सुरेंद्र नाथ बनर्जी की सलाह पर सर दयाल सिंह मजीठिया ने 1877 में लाहौर में अंग्रेजी दैनिक ट्रिब्यून की स्थापना की। यह पत्र भी उदारवादी राष्ट्रीय विचारधारा प्रचारक था।
  • 1878 में मद्रास में वीरराघवाचरी तथा कस्तूरी बंधु आदि अन्य देशभक्तों​ ने अंग्रेजी साप्ताहिक हिन्दू की। यह 1889 से अंग्रेजी दैनिक के रूप में छपने लगा। हिन्दू  उदारवादी दृष्टिकोण का पत्र रहा।
  • उग्र राष्ट्रवादी नेता बाल गंगाधर तिलक सुयोग्य पत्रकार भी थे। उन्होंने  अपने अंग्रेजी साप्ताहिक पत्र मराठा (1881) के माध्यम से लोगों के बीच लड़ाकू राष्ट्रवादी भावनाओं का सफल प्रचार किया। उन्होंने मराठी में पाक्षिक पत्र केसरी (1881) निकाला जिसमें छपे लेखों के कारण तिलक को दो बार जेल भी जाना पड़ा।
  • अरविंद घोष ने अपने पत्रों युगांतर और वंदेमातरम् (1906) के माध्यम से बंगाल विभाजन का विरोध किया और बहिष्कार तथा स्वदेशी का प्रचार किया।
  • जी ए नटेशन ने मद्रास से इंडियन रिव्यू (1900) का और रामानंद चटर्जी ने 1907 में कलकत्ता से मार्डन रिव्यू का प्रकाशन शुरू किया।
  • 1913 में फिरोज शाह मेहता ने बांबे क्रानिकल निकालना शुरू किया। बी जी हार्निमन को इसका संपादक बनाया।
  • प्रथम विश्व युद्ध के दौर में बाल गंगाधर तिलक और डॉ श्रीमती एनी बेसेंट ने आयरलैंड के नमूने पर गृह स्वायत्त शासन (होमरुल) आंदोलन शुरू किया। अपने विचारों के प्रसार के लिए श्रीमती बेसेंट ने मद्रास स्टैंडर्ड (अंग्रेजी) को अपने हाथों में लिया तथा न्यू इंडिया (1914) के नाम से होमरूल आंदोलन का मुख्यपत्र बनाया। कामन विल (1914) का भी प्रकाशन एनी बेसेंट ने किया।
  • सर्वेंट्स आफ इंडिया (1918, अंग्रेजी साप्ताहिक) के संपादक श्रीनिवास शास्त्री थे। यह सर्वेंट्स आफ इंडिया सोसायटी का उदारवादी राष्ट्रवादी दृष्टिकोण का पत्र था।
  • 1919 से महात्मा गांधी ने यंग इंडिया का संपादन किया और उसके माध्यम से अपने राजनीतिक दर्शन, कार्यक्रम और नीतियों का प्रचार किया। 1933 से ही उन्होंने हरिजन का भी प्रकाशन शुरू किया। हरिजन हिन्दी, अंग्रेजी और  कई अन्य देशी भाषाओं में साप्ताहिक के रूप में प्रकाशित होता था।
  • इंडिपेंडेंट (1919) इलाहाबाद से प्रकाशित पंडित मोतीलाल नेहरू का अंग्रेजी दैनिक था।
  • 1922 में दिल्ली से के एम पन्नीकर के संपादन में अंग्रेजी दैनिक हिन्दुस्तान टाइम्स का प्रकाशन शुरू हुआ।
  • उदंत मार्तंड (1826) हिन्दी भाषा का पहला समाचार पत्र था।
  • पंजाब केसरी – लाला हरदयाल, लाला जगत नारायण।
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7 thoughts on “भारतीय पत्रकारिता का विकास”

  1. बेहद महत्वपूर्ण रोचक और ज्ञानवर्धक लेख—कृपया भविष्य में भी पत्रकारिता पर आधारित लेखों की सृंखला प्रकाशित करने की कृपा करें @@@

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