भारतीय न्यायपालिका

भारतीय न्यायपालिका: भाग -5, अनुच्छेद 124-147 एवं भाग-6, अनुच्छेद 214-237

सर्वोच्च न्यायालय

  • भारतीय संविधान के अंतर्गत एकल न्यायिक व्यवस्था की स्थापना की गई है। पूरे देश के लिए गांव से लेकर केंद्र तक न्यायालयों की एकीकृत ऋंखला है।
  • सर्वोच्च न्यायालय भारत का संघीय न्यायालय है।
  • इस एकीकृत न्यायपालिका में सबसे ऊपर सर्वोच्च न्यायालय है। उसके नीचे उच्च न्यायालय आते हैं तथा उच्च न्यायालयों के नीचे अधीनस्थ न्यायालयों की स्थापना की गई है।
  • उच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय के नियंत्रण में तथा अधीनस्थ न्यायालय उच्च न्यायालयों के अधीन कार्य करते हैैं​।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 के तहत सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई है,जो देश का शीर्ष न्यायालय है और अंतिम भी।
  • सर्वोच्च न्यायालय का गठन 28 जनवरी 1950 को हुआ था।
  • उच्चतम न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायाधीश हीरालाल जे कानिया  नियुक्त ​हुए थे।

न्यायाधीशों की संख्या

  • वर्तमान में एक मुख्य न्यायाधीश तथा 30 अन्य न्यायाधीशों को मिलाकर सर्वोच्च न्यायालय का गठन किया गया है।
  •  संसद को यह अधिकार है कि वह न्यायाधीशों की संख्या को निश्चित करे।
  • प्रधान न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

न्यायाधीशों की योग्यताएं

सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए निम्नलिखित योग्यताएं आवश्यक है-

  1. भारत का नागरिक हो।
  2. किसी उच्च न्यायालय में अथवा दो या दो से अधिक न्यायालयों में कम से कम पांच वर्ष तक न्यायाधीश रहा हो।
  3. न्यायाधीशों के रूप में नियुक्त होने के लिए कोई न्यूनतम आयु निश्चित नहीं है।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 के अनुसार उच्चतम न्यायालय की स्थापना, गठन, अधिकारिता एवं शक्तियों का विनियमन करने के लिए कानून बनाने का अधिकार संसद को है।
  • सर्वोच्च न्यायालय नयी दिल्ली में स्थित है। बावजूद इसके राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से मुख्य न्यायाधीश भारत के किसी भी स्थान पर सर्वोच्च न्यायालय की बैठकें ले सकते हैं।
  •  उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक अपने पद पर बने रह सकते हैं।
  • सर्वोच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश को साबित कदाचार या असमर्थता के आधार पर हटाया जा सकता है। यदि यह आरोप संसद के दोनों सदनों​ में विशेष बहुमत से पारित हो जाए (अर्थात् कुल सदस्यों के बहुमत से तथा उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से)।(अनुच्छेद 124(4))
  • सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन और भत्ते भारत की संचित निधि से प्रदान किए जाते हैं।
  •  न्यायाधीशों​ के वेतन और भत्ते उसके कार्यकाल के दौरान कम नहीं किए जा सकते। सिवाय वित्तीय आपात (अनुच्छेद 360) के।
  • सेवानिवृत्ति के बाद सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को किसी न्यायालय में वकालत करने या लाभ का पद प्राप्त करने पर पाबंदी है।
  • संविधान के अनुच्छेद 129 में सर्वोच्च न्यायालय को अभिलेख न्यायालय घोषित किया गया है, अर्थात् सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय निचली अदालतों पर बाध्यकारी है।
  • अभी तक सबसे अधिक समय तक उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहने वाले न्यायालय वाय वी चंद्रचूड़ हैं।
  • सर्वोच्च न्यायालय संघीय न्यायालय भी है तथा अपीलीय न्यायालय भी।
  • अनुच्छेद 131, के अधीन सर्वोच्च न्यायालय को निम्नलिखित मामलों पर प्रारंभिक क्षेत्राधिकार प्राप्त है-
  1. केंद्र तथा एक या एक से अधिक राज्यों के बीच उत्पन्न विवादों में,
  2. एक या अधिक राज्यों के बीच उत्पन्न विवादों में
  3. सिर्फ तथ्य या विधि के प्रश्न से संबंधित विवाद उच्चतम न्यायालय में स्वीकार किए जाते हैं।
  • उच्चतम न्यायालय देश का सबसे बड़ा अपीलीय न्यायालय है।(अनुच्छेद 133)
  • उच्चतम न्यायालय को देश के किसी भी उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील सुनने का अधिकार है (अनुच्छेद 132)।
  • संविधान के अनुच्छेद 143 के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय को राष्ट्रपति को सांवैधानिक और विधिक सलाह देता का अधिकार है।
  • न्यायिक पुनरावलोकन –संसद या राज्य विधानमंडलों द्वारा पारित किसी अधिनियम या केंद्र या राज्य सरकार के किसी भी आदेश की वैधानिकता का पुनरावलोकन का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को है। (अनुच्छेद 137)
  • अनुच्छेद 137के अनुसार उच्चतम न्यायालय अपने फैसले पर भी पुनर्विचार कर सकता है।
  • उच्चतम न्यायालय को किसी उच्च न्यायालय में लम्बित मामलों को उच्चतम न्यायालय में या किसी अन्य उच्च न्यायालय में अंतरित करने का अधिकार है।

रिट याचिका 

सर्वोच्च न्यायालय को अनुच्छेद 32 के तहत यह अधिकार प्राप्त है कि वह नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए बंदी-प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, उत्प्रेषण एवं अधिकार-पृच्छा  जैसे रिट जारी करे।

  1. बंदी-प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) – गिरफ़्तारी के 24 घंटे के अंदर बंदी को अदालत में पेश किया जाए और उसके विरुद्ध लगे हुए आरोपों को अदालत को बताया जाए।
  2. परमादेश (Mandamus) – इसमें इस बात की स्पष्ट आज्ञा होती है कि “प्रादेश में निर्दिष्ट कार्य का यथोचित संपादन किया जाए क्योंकि वही उसका (अधिकारी, निगम का, न्यायालय का) नियतकर्म अथवा कर्तव्य है।” ‘mandamus’ का अर्थ है “हमारा आदेश है।”
  3. प्रतिषेध/निषेधाज्ञा (Prohibition) – जब कोई निचला न्ययालय अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करके  किसी मुकदमें की सुनवाई करे तो इस स्थिति में उच्चतर न्यायलय उसे ऐसा करने से रोकने के लिए ‘प्रतिषेध लेख’ (writ of prohibition) जारी करता है।
  4. उत्प्रेषण (Certiorari) – किसी अधीनस्थ न्यायालय को दिया जाता है और निर्देशित किया जाता है कि अमुक निर्णय की सुनवाई (proceeding) को पुनरावलोकन के लिये भेजें (पूर्णतया सूचित करें )।
  5. अधिकार पृच्छा (Quo warranto) – किसी व्यक्ति से यह पूछा जाता है कि उसने किस अधिकार या शक्ति के तहत अमुक काम किया है या निर्णय लिया है।

उच्च न्यायालय

भाग-6, अनुच्छेद 214-231

  • संविधान के अनुच्छेद 214 के अनुसार प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय का प्रावधान है।
  • संसद को यह अधिकार प्राप्त है कि वह दो या अधिक राज्यों के लिए एक उच्च न्यायालय की स्थापना कर सकता है (अनुच्छेद-231)।
  • अनुच्छेद 215 के अनुसार उच्च न्यायालय को अभिलेख न्यायालय घोषित किया गया है।
  • प्रत्येक उच्च न्यायालय के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त एक मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीश होते हैं।
  • संविधान के अनुच्छेद 217 के अनुसार उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए निम्नलिखित योग्यताएं आवश्यक हैं-
  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. 65 वर्ष से कम आयु का हो।
  3. कम से कम 10 वर्षों तक न्यायिक पद पर रहा हो।
  4. या किसी एक या अधिक उच्च न्यायालयों में 10 वर्षों तक अधिवक्ता रहा हो।
  5. वह केंद्र या राज्य सरकार में लाभ के पद पर नहीं हो।
  • उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा संबंधित राज्य के राज्यपाल का परामर्श लेता है।
  • अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा संबंधित राज्य के राज्यपाल के साथ साथ उस राज्य के मुख्य न्यायाधीश की भी सलाह लेता है।
  • राज्यपाल अथवा उसके द्वारा नियुक्त सक्षम अधिकारी के समक्ष न्यायाधीश शपथ लेता है।
  • स्थायी रूप से सेवानिवृत्त होने के बाद न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय में वकालत कर सकता है।
  • उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन और भत्ते निर्धारित करने का अधिकार संसद को दिया गया है।
  • न्यायाधीशों के वेतन और भत्ते भारत के संचित निधि से प्रदान किए जाते हैं जिसे उसके कार्यकाल के दौरान अलाभकारी ढंग से बदला नहीं जा सकता।
  • राष्ट्रपति भारत के प्रधान न्यायाधीश से परामर्श कर के किसी न्यायाधीश का स्थानांतरण किसी अन्य उच्च न्यायालय में कर सकता है (अनुच्छेद 222)।
  • उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के विरुद्ध प्रांतीय विधानमंडलों में कोई चर्चा नहीं हो सकती।
  • भारत में कुल 24 उच्च न्यायालय स्थापित हैं।
दोस्तों के साथ शेयर करें

4 thoughts on “भारतीय न्यायपालिका”

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *