आदि शंकराचार्य का अद्वैत दर्शन
अद्वैत दर्शन अद्वैत दर्शन के प्रतिपादक शंकराचार्य हैं। उनके अनुसार “ब्रह्म सत्यं जगन्नमिथ्या जीवो ब्रह्मैव नापर:।” ब्रह्म (निर्गुण ईश्वर) ही […]
अद्वैत दर्शन अद्वैत दर्शन के प्रतिपादक शंकराचार्य हैं। उनके अनुसार “ब्रह्म सत्यं जगन्नमिथ्या जीवो ब्रह्मैव नापर:।” ब्रह्म (निर्गुण ईश्वर) ही […]
जैन दर्शन जीव के प्रकार जैन दर्शन चेतन द्रव्य को जीव या आत्मा कहता है। जीव चेतना स्वरूप है अर्थात्
सांख्य दर्शन भारतीय दर्शन पद्धतियों में सांख्य सबसे प्राचीन माना जाता है। महर्षि कपिल के द्वारा सांख्य दर्शन का प्रतिपादन
चार्वाक दर्शन चार्वाक दर्शन भौतिकवादी विचारधारा है। इसे लोकायत दर्शन भी कहा गया है। लोकायत का अर्थ है लोक में