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पूर्व मध्यकालीन भारत (700-1200 ई•)

जुलाई 15, 2018 by अभिषेक Leave a Comment

पूर्व मध्यकालीन भारत

अनुक्रम | Contents

  • पूर्व मध्यकालीन भारत
      • पाल वंश
      • सेन वंश
      • कश्मीर के राजवंश
      • पल्लव वंश
      • राष्ट्रकूट
      • कल्याणी के चालुक्य
      • वातापी के चालुक्य
      • वेंगी के चालुक्य
      • देवगिरी के यादव
      • द्वारसमुद्र के होयसल
      • बनवासी के कदम्ब
      • चोल वंश
      • गंग वंश
      • गुर्जर प्रतिहार
      • चंदेल वंश
      • तोमर

 

पूर्व मध्यकालीन भारत

  • गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद उत्तर भारत की राजनीतिक शक्ति का केंद्र पाटलिपुत्र के स्थान पर कन्नौज हो गया।
  • आठवीं शताब्दी के मध्य में भारत में तीन शक्तिशाली राजवंशों का उदय हुआ; दक्षिण में राष्ट्रकूट, पूर्व (बंगाल) में पाल तथा पश्चिमोत्तर भारत में गुर्जर प्रतिहार वंश।
  • कन्नौज पर अधिकार करने के लिए इन तीनों के बीच लंबा संघर्ष चला जिसे त्रिपक्षीय संघर्ष के नाम से जाना जाता है।
  • त्रिपक्षीय संघर्ष को प्रतिहार नरेश वत्सराज ने आरंभ किया जब उसने कन्नौज के आयुध शासक इंद्रायुध को पराजित कर उतर भारत में अपनी सत्ता का विस्तार करना प्रारंभ किया। प्रतिहार गंगा यमुना दो आब तक बढ़ गये।अब बंगाल के पाल और प्रतिहार आमने-सामने थे।
  • प्रतिहार अंततः कन्नौज पर कब्जा करने में सफल हुए।

पाल वंश

  • बंगाल के पाल वंश का उदय लगभग 750 ईसवी में हुआ जब बंगाल की अराजक स्थिति से परेशान हो कर जनता ने गोपाल नामक व्यक्ति को राजा बना दिया।
  • पाल वंश का दूसरा शासक धर्मपाल इस वंश का सबसे महान राजा था।
  • पाल वंशी राजा बौद्ध थे। उन्होंने नालंदा और विक्रमशिला के विश्व प्रसिद्ध महाविहारों को संरक्षण प्रदान किया
  • पाल वंश का शासन बंगाल एवं बिहार के क्षेत्रों में विस्तृत था।
  • पाल राज्य की राजधानी मुंगेर थी।
  • गोपाल द्वारा बिहारशरीफ में उदंतपुरी एवं जगदल विश्वविद्यालय की स्थापना की गई।
  • धर्मपाल को पाल वंश का सबसे महान शासक माना जाता है
  • धर्मपाल ने कहलगांव जिला भागलपुर से कुछ दूरी पर विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना कराई।
  • देवपाल ने उदंतपुरी में बौद्ध मठ की स्थापना करवाई।
  • अधिकांश पाल शासक बौद्ध धर्म के अनुयायी थे
  • पाल शासकों ने लगभग 400 वर्षों तक राज्य किया।
  • पाल राज्य की स्थापना के संबंध में जानकारी लखीमपुर ताम पत्र से प्राप्त होती है।
  • प्रसिद्ध काव्य ग्रंथ रामचरित् संध्याकर नंदी द्वारा पालों के समय में लिखी गई।

सेन वंश

  • पाल वंश के बाद बंगाल में सेन वंश का शासन आया।
  • नादिया (लखनौती) सेन राज्य की राजधानी थी।
  • बंगाल के सेन वंश की स्थापना सामंत सेन ने किया।
  • गीतगोविंद के रचयिता जयदेव लक्ष्मण सेन के राज्याश्रय में थे।
  • देवपाडा की विशाल प्रद्युमनेश्वर मंदिर का निर्माण विजय सिंह ने करवाया।
  • सर्वप्रथम हिंदी भाषा में अभिलेख लिखने करने वाला राजवंश सेन वंश था ।
  • बंगाल का अंतिम हिंदू शासक लक्ष्मण सेन था।

कश्मीर के राजवंश

  • कश्मीर में कार्कोट वंश, उत्पल वंश एवं लोहार वंश आदि प्रमुख राजवंशों ने शासन किया।
  • दुर्लभ वर्धन ने कश्मीर में सातवीं शताब्दी में कार्कोट वंश का राज्य कायम किया
  • ललितादित्य मुक्तापीड़ कार्कोट वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक था ।
  • ललितादित्य मुक्तापीड़ ने कश्मीर के मार्तंड मंदिर का निर्माण कराया ।
  • अवंति वर्मन ने कार्कोट वंश के पश्चात कश्मीर में उत्पल वंश की शासन की स्थापना की।
  • संग्रामराज ने उत्पलवंश के पतन के पश्चात कश्मीर में लोहार वंश की स्थापना की।
  • लोहार वंश का अंतिम शासक जयसिंह था

पल्लव वंश

  • पल्लव वंश की स्थापना वप्पदेव ने किया
  • लेकिन इस वंश का वास्तविक संस्थापक सिंह विष्णु ( 575-600 ईसवी) को माना जाता है।
  • सिंह विष्णु की राजधानी कांची थी।
  • किरातार्जुनीयम् के रचयिता भारवि सिंह विष्णु का दरबारी कवि था।
  • पल्लव शासक नरसिंह वर्मन प्रथम (630-660 ईसवी) ने श्रीलंका के शासक के साथ मिलकर बादामी या वातापी को जीत लिया।
  • इसे अभिलेखों में वातापीकोंड की उपाधि दी गई के है।
  • बादामी विजय के बाद उसे महामल्ल कहा गया।
  • पल्लव वंश के शासक नरसिंह वर्मन प्रथम ने महाबलीपुरम में एकाश्मक रथ का निर्माण कराया।
  • नरसिंह वर्मन प्रथम ने मामल्लपुरम नगर की स्थापना कांची के पास की।
  • कांची के कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण पल्लव शासक नरसिंह वर्मन द्वितीय ने किया।
  • कांची के मुक्तेश्वर मंदिर और बैकुंठ पेरुमल मंदिर का निर्माण पल्लव शासक नंदीवर्मन ने कराया।
  • संस्कृत के प्रसिद्ध काव्य ग्रंथ दशकुमारचरित का रचनाकार दंडी पल्लव शासक नंदीवर्मन का दरबारी।
  • पल्लव शासक महेंद्र वर्मन प्रथम ने मत्तविलास प्रहसन नामक प्रसिद्ध नाटक की रचना की।
  • कांची के ऐरावतेश्वर मंदिर का निर्माण राजसिंह शैली में नरसिंह वर्मन द्वितीय ने करवाया।
  • पल्लव शासक नंदिवर्मन द्वितीय के शासनकाल में राष्ट्रकूट दंतिदुर्ग ने पल्लवों को हराकर कांची पर अधिकार कर लिया।
  • पल्लव वंश का अंतिम शासक अपराजित (879-897) था जिसे 897 ईसवी के आसपास चोल शासक आदित्य प्रथम ने परास्त कर दिया।

राष्ट्रकूट

  • राष्ट्रकूट वंश की स्थापना दंतिदुर्ग ने लगभग 736 ईसवी में की। दंतिदुर्ग वातापी के चालुक्यों के अधीन सामंत था। उसने अंतिम चालुक्य राजा कीर्तिवर्मन द्वितीय को पराजित किया। दंतिदुर्ग ने नासिक को अपनी राजधानी बनाया। बाद के राष्ट्रकूट शासकों ने मान्यखेत (मालखंड) को अपनी राजधानी बनाया जो वर्तमान शोलापुर के निकट था।
  • कृष्ण प्रथम(756-772 ईसवी) ने ऐलौरा के प्रसिद्ध कैलाश मंदिर का निर्माण कराया।
  • कन्नौज पर अधिकार करने के उद्देश्य से त्रिपक्षीय संघर्ष में भाग लेकर उत्तर भारत की राजनीति में हस्तक्षेप करने वाला दक्षिण भारत का पहला शासक राष्ट्रकूट ध्रुव था।
  • प्रतिहार नरेश वत्सराज और पाल शासक धर्मपाल को राष्ट्रकूट शासक ध्रुव ने हराया।
  • राष्ट्रकूट नरेश ध्रुव को धारावर्ष भी कहा गया है।
  • कन्नड़ भाषा में लिखित कविराज मार्ग की रचना राष्ट्रकूट नरेश अमोघवर्ष ने की।
  • राष्ट्रकूट अमोघवर्ष जैन धर्म का अनुयायी था।
  • अमोघवर्ष ने तुंगभद्रा में जल समाधि लेकर अपना जीवन समाप्त कर दिया।
  • इस वंश के छठे शासक अमोघवर्ष ने मान्यखेत (मालखेड़) को राष्ट्रकूटों की राजधानी बनाया।
  • अरब यात्री सुलेमान ने अमोघवर्ष की गणना तत्कालीन विश्व के चार महान् शासकों में की है।
  • राष्ट्रकूटों का पराभव कल्याणी के चालुक्यों द्वारा हुआ। चालुक्य शासक तैलप द्वितीय ने 973 ईसवी में इस वंश के अंतिम शासक कर्क द्वितीय को पराजित करके मान्यखेत पर अधिकार कर लिया।

कल्याणी के चालुक्य

  • तैलप द्वितीय ने कल्याणी के चालुक्य वंश की स्थापना की।
  • तैलप द्वितीय ने अपनी मान्यखेत को अपनी राजधानी बनाया।
  • सोमेश्वर प्रथम ने मान्यखेड़ के बदले वर्तमान कर्नाटक राज्य में स्थित कल्याणी को चालुक्यों की राजधानी बनाया।
  • विक्रमादित्य षष्ठम् को कल्याणी के चालुक्य वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक माना जाता है।
  • विक्रमादित्य षष्ठम् के दरबार में विज्ञानेश्वर जैसे विधि विशेषज्ञ तथा विल्हण जैसे विद्वान थे।
  • विज्ञानेश्वर ने याज्ञवल्क्य पर स्मृति मीताक्षरा नाम से एक टीका लिखी।
  • मीताक्षरा एक प्रसिद्ध हिंदु विधि ग्रंथ है।
  • विक्रमांकदेव चरित् की रचना विल्हण ने की जिसमें विक्रमादित्य षष्ठम् के जीवन और चरित्र पर प्रकाश डाला गया है।

वातापी के चालुक्य

  • वातापी या बादामी के चालुक्य वंश की स्थापना जयसिंह ने की।
  • इसकी राजधानी वातापी थी।
  • पुलकेशिन द्वितीय इस वंश का सबसे अधिक प्रतापी शासक था।
  • पुलकेशिन द्वितीय ने दक्षिणापथेश्वर एवं परमेश्वर की उपाधि धारण की।
  • पुलकेशिन द्वितीय की उपलब्धियों का वर्णन ऐहोल प्रशस्ति से मिलता है।
  • पट्टद्कल के विरुपाक्ष मंदिर का निर्माण विक्रमादित्य द्वितीय की पटरानी लोकमहादेवी द्वारा करवाया गया।
  • त्रैलोकेश्वर मंदिर का निर्माण उसकी दूसरी पत्नी त्रैलोक्य देवी द्वारा करवाया गया।
  • वातापी के चालुक्य वंश का अंतिम शासक कीर्तिवर्मन द्वितीय था।

वेंगी के चालुक्य

  • विष्णुवर्धन ने आंध्रप्रदेश के वेंगी में चालुक्य वंश की एक शाखा का राज्य स्थापित किया।
  • विजयादित्य वेंगी के चालुक्य वंश का सबसे अधिक प्रतापी राजा हुआ।

देवगिरी के यादव

  • देवगिरी में यादव वंश का शासन था जिसकी स्थापना भिल्लभ चतुर्थ ने की थी।
  • सिंहण देवगिरी का सबसे अधिक शक्तिशाली राजा था।
  • अंतिम शासक रामचंद्र यादव था जिसका शासन मलिक काफूर ने समाप्त कर दिया।

द्वारसमुद्र के होयसल

  • विष्णुवर्धन ने बारहवीं शताब्दी में होयसल वंश के राज्य की स्थापना की।
  • विष्णुवर्धन ने बेलूर में चेन्ना केशव मंदिर का निर्माण कराया।
  • इनकी राजधानी कर्नाटक में द्वारसमुद्र थी।
  • होयसल वंश का अंतिम शासक बल्लाल तृतीय था जिसके शासन का अंत मलिक काफूर ने कर दिया।

बनवासी के कदम्ब

  • मयूर शर्मन ने बनवासी के कदम्ब राज्य की स्थापना की।
  • काकुतस्थ वर्मन कदंब वंश का सबसे शक्तिशाली शासक था।
  • अलाउद्दीन खिलजी के अधिकार कर लेने से इस वंश का शासन समाप्त हो गया।

चोल वंश

  • प्राचीन चोल राज्य का पहला शासक करिकाल (लगभग 100 ईसवी) था।
  • नवीं शताब्दी के मध्य में चोल राजा विजयालय(850-880 ई) ने चोल शक्ति को फिर से स्थापित किया।
  • चोलों की राजधानी तंजावुर या तंजौर थी।
  • चोल राजा राजराज प्रथम ने श्रीलंका के एक भाग को जीत कर उसे चोल राज्य में मिला लिया। इस नए प्रांत को मम्डिचोलमंडलम नाम दिया गया। पोल्लनरुवा को इसकी राजधानी बनाया गया।
  • तंजौर में भगवान शिव का राजराजेश्वर मंदिर अथवा बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण राजराज प्रथम (985-1113) ईसवी। यह एक शिव मंदिर है।
  • चोलों की नौसैनिक शक्ति काफी मजबूत थी।
  • बंगाल की खाड़ी में चोल राजाओं के दबदबे के कारण उसे चोल झील कहा जाता था।
  • राजेंद्र प्रथम (1016-44 ईसवी) ने अपनी सैनिक शक्ति विशेषकर नौसेना के बल पर पेगू,मर्तबान, अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह,ओड्र (ओडिशा), दक्षिण कोसल (छत्तीसगढ़), बंगाल और मगध होती हुई गंगा तक सफल अभियान किए। इस विजय के उपलक्ष्य में उसने गंगैकोंड की उपाधि धारण की।
  • चोल साम्राज्य का सबसे अधिक विस्तार राजेंद्र प्रथम के समय हुआ।
  • प्रशासनिक सुविधा के लिए चोल राज्य मंडलम् (प्रांतों), कोट्टम् (कमिश्नरी), वलनाडु (जिला) तथा कुर्रम (ग्राम समूह) में बंटा हुआ था। प्रशासन की सबसे छोटी इकाई नाडु (ग्राम) होती थी।
  • चोल साम्राज्य में छः मंडलम या प्रांत थे।
  • चोल राज्य स्थानीय शासन के लिए जाना जाता है।
  • नगरों की स्थानीय सभा को नगरतार जबकि नाडु की स्थानीय सभा को नाटूर कहा जाता था।
  • तमिल साहित्य का सर्वश्रेष्ठ कवि जयन्गोंदर कुलोत्तुंग प्रथम का राजकवि था।
  • तंजावुर के वृहदेश्वर मंदिर को पर्सी ब्राउन ने भारतीय द्रविड़ वास्तुकला का चरमोत्कर्ष बताया
  • नटराज प्रतिमा को चोल कला का उत्कृष्ट नमूना है ।
  • अधिकतर चोल शासक शिव के उपासक थे ।
  • परंतु वैष्णव, बौद्ध तथा जैन धर्म का स्थान भी बरकरार था।
  • शिव के उपासकों को नयनार कहा जाता था जबकि विष्णु के उपासक अलवार कहे जाते थे।
  • प्रसिद्ध तमिल महाकवि कंबन ने चोल शासक कुलोत्तुंग तृतीय के शासनकाल में तमिल रामायण की रचना की जिसे रामावतारम् या कंबु रामायण भी कहा जाता है।
  • कावेरीपट्टनम चोल काल में 10 वीं शताब्दी का सबसे महत्वपूर्ण बंदरगाह था।

गंग वंश

  • दूसरी से ग्यारहवीं शताब्दी तक मैसूर के अधिकांश भाग में गंग वंश का शासन था।
  • 983 ईसवी में गंग राजा राजमल्ल चतुर्थ के मंत्री चामुंडराय ने श्रवण-बेलगोला में गोमतेश्वर की साढ़े छप्पन फीट ऊंची विशाल प्रतिमा का निर्माण कराया।
  • गंगों की राजधानी तलकाड (मैसूर में) थी।
  • बाद में राष्ट्रकूटों ने गंग राज्य पर अधिकार कर लिया।
  • उड़ीसा के गंग वंश का सबसे प्रतापी शासक अनंत वर्मा चोड़गंग था। अनंत वर्मा चोड़गंग ने 1076 से 1148 ईस्वी तक शासन किया।

गुर्जर प्रतिहार

  • गुर्जर प्रतिहार वंश की स्थापना नागभट्ट नामक सामंत ने गुजरात में की।
  • गुर्जर प्रतिहार वंश का सबसे प्रतापी राजा भोज प्रथम या मिहिर भोज था।
  • अरब यात्री सुलेमान इसी भोज के समय भारत आया था।
  • कर्पूरमंजरी नामक नाटक के रचयिता महाकवि राजशेखर थे।
  • राजशेखर प्रतिहार नरेश महेंद्रपाल के गुरु और सभासद थे।
  • महमूद गजनवी के आक्रमण के समय कन्नौज का शासक राज्यपाल प्रतिहार था जिसने बिना लड़े ही महमूद के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।

चंदेल वंश

  • चंदेलों का राज्य जेजाकभुक्ति (बुंदेलखंड) के दक्षिणी हिस्से में था।
  • नान्नुक चंदेल ने प्रतिहारों के मुखिया का नाश करके अपना राज्य स्थापित किया।
  • सातवां चंदेल शासक यशोवर्मा अपने वंश का पहला स्वतंत्र शासक था।
  • धंग (लगभग 950-1008 ईसवी) चंदेल वंश का सबसे अधिक प्रतापी राजा था।
  • धंग ने खजुराहो के मंदिर का निर्माण कराया।

तोमर

  • तोमर राजपूतों की एक शाखा ग्यारहवीं शताब्दी में दिल्ली क्षेत्र में राज्य करती थी।
  • अनंगपाल तोमर ने ग्यारहवीं शताब्दी में दिल्ली (ढिल्लिका) शहर बसाया।

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Filed Under: इतिहास Tagged With: Chola Empire, Early Medievel India, general knowledge, gk, Medieval India, पूर्व मध्यकालीन भारत, मध्यकालीन भारत, सामान्य ज्ञान

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